
जिला चिकित्सालय के वायरल वीडियो का सच, मीडिया का दुरुपयोग कर पूरी जमात को बदनाम करने की कोशिश
जिला चिकित्सालय के वायरल वीडियो का सच, मीडिया का दुरुपयोग कर पूरी जमात को बदनाम करने की कोशिश
हर्ष शर्मा संवाददाता झांसी
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक जिला अस्पताल के संविदा कर्मचारी का पैसे की बात करता हुआ वीडियो दिनभर चर्चा में रहा और जमकर वायरल हुआ।वायरल वीडियो की हकीकत जानने के लिए न्यूज ऑफ व्यूज़ के संवाददाता हर्ष शर्मा ने जब वायरल वीडियो के तह तक पहुंचकर सच्चाई जानी तो बात कुछ और ही सामने आई। दरअसल आज सुबह से कुछ लोगों द्वारा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था। जिसमे एक जिला अस्पताल का कर्मचारी किसी व्यक्ति से कुछ बात करता दिखाई दे रहा है।जिसमे वह कर्मचारी किसी जांच के बारे में बता रहा है की इस जांच के इतने पैसे प्राइवेट में लगते ही है।और इतनी ही बात को वहां मौजूद एक वहीं पर घूमने वाले अपने आप को “पतलेकार” चमत्कार और पत्रकारिता की पहचान कहे जाने वाले चौराहे पर गाल सिकवाने वाले जोकर ने अपने चार दिन पहले खरीदे फोन में कैद कर लिया। और यूट्यूब चैनल के साथ ईमानदारी से पत्रकारिता करने वाले अपने भाइयों को बदनाम करते हुए किसी यूट्यूब पर वीडियो लगा दिया। और उसको वायरल कर दिया।

हमारे संवाददाता ने जब वीडियो में पैसे की बात करते हुए कर्मचारी से बात की तो हकीकत कुछ और ही सामने आई। दरअसल जो वीडियो वायरल हो रहा है। उसमें दिखाया जा रहा है कि यह कर्मचारी किसी सिपाही से जांच के नाम पर पैसे मांग रहा है। लेकिन कर्मचारी से जब बात हुई तो उसने कहा की जिला अस्पताल के बगल में बनी मिनर्वा चौकी इंचार्ज ने उस कर्मचारी को बुलाकर किसी गरीब की मदद करने की बात कही। चौकी इंचार्ज ने इस कर्मचारी से कहा कि यह गरीब व्यक्ति है और इसकी इको करवानी है। जो कि जिला अस्पताल में नहीं होती है।जिला अस्पताल से उस व्यक्ति को मेडिकल कॉलेज के लिए भेजा गया था। लेकिन मेडिकल कॉलेज में किसी कारण 2 दिन से इसकी जांच नहीं हो पा रही थी। और इसके बाद जब ये गरीब व्यक्ति प्राइवेट अस्पताल में गया। वहां पर उसको इस जांच की कीमत 2200 रुपया बताई गई। जिसकी कीमत वह गरीब व्यक्ति नहीं चुका सकता था। अस्पताल कर्मचारी ने उस व्यक्ति से जोकि वीडियो में बातचीत के दौरान सुनाई दे रहा है। कहा की हम अपने किसी भी अस्पताल के अधिकारी से वहां पर फोन करवा कर जांच के पैसे कुछ कम करवा सकते हैं। और यही मदद हम आपकी कर सकते हैं। जिला अस्पताल के कर्मचारी ने उस व्यक्ति की मदद की, अपने किसी अधिकारी से बात करा कर। और उस गरीब व्यक्ति की वहां पर 1400 रुपए में जांच भी हो गई। इस दौरान जब वह कर्मचारी उस गरीब व्यक्ति को समझा रहा था कि प्राइवेट में इस जांच के पैसे कम करवा कर हम आपकी मदद कर सकते हैं। उस समय वहीं पर खड़े एक पत्रकार कहने वाले जोकर और कुछ अपने आप को बड़े पत्रकार कहने बालों की शरण में रहने वाले व्यक्ति ने उस व्यक्ति का वीडियो बना लिया। और उसको यह कहकर वायरल कर दिया की यह कर्मचारी इस व्यक्ति से जांच के नाम पर पैसे मांग रहा है। जबकि ईको जिला अस्पताल में होती ही नहीं है। जबकि जांच पड़ताल में यह बात बिल्कुल गलत साबित हुई। की जिला अस्पताल का कर्मचारी किसी से पैसे मांग रहा है। और जब उस गरीब व्यक्ति से बात की गई तो उस गरीब व्यक्ति ने भी यही बात कही कि हमारी तो पैसे कम करवा कर मदद की गई है हमसे अस्पताल के किसी भी कर्मचारी न ही पैसे की मांग की और न ही हमसे किसी ने पैसे लिए।ध्यान देने बाली बात ये है की सूत्रों के मुताबिक इस मामले में किसी चौकी इंचार्ज से भी संपर्क किया गया था। किसी पत्रकार के मार्फत और कुछ पैसों की बात भी मामले को निपटाने के लिए रखी गई थी।लेकिन किसके कहने पर किसने किसकी मदद की और क्यों की ये रब ही जाने। पर डीलिंग करने की कोशिश की गई थी। पर इस मामले हकीकत जानने पहुंचे कुछ पत्रकारों को जांच पड़ताल करते देख लिए गया जिससे उनको T-shirt को टोपा बनाकर मुंह छुपाकर भागना पड़ा। इस वायरल वीडियो को गलत तरीके से दिखाए जाने पर जिला अस्पताल के सभी कर्मचारियो में रोष है। और अस्पताल प्रशासन से ऐसे मीडिया का गलत इस्तेमाल और मीडिया को बदनाम करने बालों के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कर रहे हैं।
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