
दद्दा ध्यानचंद की झांसी में सेना और बीएसएफ के जवान रायफल की जगह हॉकी हाथ में लेकर होंगे आमने सामने
दद्दा ध्यानचंद की झांसी में सेना और बीएसएफ के जवान रायफल की जगह हॉकी हाथ में लेकर होंगे आमने सामने
हर्ष शर्मा संवाददाता झांसी
देश भर में 16 दिसम्बर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1971 के युद्ध में करीब 3,900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जबकि 9,851 घायल हो गए थे। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद 17 दिसंबर को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया।देश के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज 16 दिसंबर 1971 की तारीख को सेना “ विजय दिवस ” के रूप में मनाती है। भारतीय सेना की व्हाइट टाइगर डिवीज़न “ विजय दिवस ” के उपलक्ष्य में वीरांगना नगरी झांसी में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत 20 दिसंबर को सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के बीच एक हॉकी मैच का आयोजन करने जा रही है।इसी के उपलक्ष्य में यहां स्थित मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में सेना और बीएसएफ के टीमें हॉकी के मैदान पर भिडेंगी। इस मैत्री मैच में दोनों ही पक्ष खेल के मैदान में भी जवानों का जोश खरोश दिखाकर इस महत्वपूर्ण दिवस को मनायेंगे।इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में जनप्रतिनिधि, अधिकारी और खेल की जानी मानी हस्तियां मौजूद रहेंगी। इसके झांसी-ललितपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग शर्मा, झांसी मंडलायुक्त डॉ़ आर्दश सिंह, डीआईजी जोगेंद्र कुमार, जिलाधिकारी रविंद्र कुमार, एसएसपी राजेश एस, डीआरएम आशुतोष, मेजर ध्यानचंद के सुपुत्र और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित अशोक कुमार ध्यानचंद, हॉकी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सुबोध खांडेकर, जिला खेल अधिकारी राजेश सोनकर, क्षेत्रीय खेल अधिकारी सुरेश बोनकर,नगर आयुक्त पुलकित गर्ग, सिटी मजिस्ट्रेट अंकुर श्रीवास्तव शामिल होंगे साथ ही हंसराज मॉडल स्कूल और झांसी के सैनिक स्कूल के प्रिंसिपल भी उपस्थित रहेंगे।विजय दिवस भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक दिवस है । इस दिन पाकिस्तान सैन्य प्रमुख जनरल नियाज़ी के 93000 सैनिकों ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण किया था । साथ ही इसी दिन दुनिया के नक्शे पर बंगलादेश के रूप में एक नये राष्ट्र के उभरने का भी आगाज़ हुआ था । यह दिन बंगलादेश की आधिकारिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है।
वैभव सिंह
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